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मां की ममता - (पहली मोहब्बत)

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छोटी कवितायेंमां और ममता

मां से बढकर कुछ भी नहीं

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UDAY VEER
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आज छात्र की कुछ मत पूंछो, फैशन का है भूत चढा नहीं नहाया है हफ्तों से, पर बालों में तेल पडा मोबाइल फोन अब हाथों में है, पढना लिखना भूल गए जींस और टाई से सजकर, कद्दू जैसा फूल गए घर पर तो एक स्टूडैंट ...

लेखक के बारे में
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UDAY VEER

मैं उस परमपिता परमात्मा से कहना चाहता हूँ, कि "हे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के रचयिता, अभी भी थोड़ा सुकून बाकी है, तेरी बनाई, इस दुनिया में" मैंने अपने आचार्य जी से कुछ बेहतरीन पंक्तियाँ सुनी जिन्हें मैं हमेशा याद रखता हूँ:- "लक्ष्य न ओझल होने पाए, क़दम मिला कर चल। मंजिल तेरे पग चूमेगी, आज नहीं तो कल।।"

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    ravi kumar
    14 ऑगस्ट 2019
    maa to maa hi hoti hai, bhagwan agar naraj ho jae to maa apne aanchal me jagah de deti hai, lekin agar maa naraj ho jaae to bhagwan bhi saran nahin dete hain
  • author
    Neelu Yadav
    02 जुलै 2019
    waah uday ji kya likha hai aapne aapki jitni tarif ki jae kam hi hai
  • author
    Arjun Yadav
    01 जुलै 2019
    Wow bhai lajabab dil jeet liya aapne to
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  • author
    ravi kumar
    14 ऑगस्ट 2019
    maa to maa hi hoti hai, bhagwan agar naraj ho jae to maa apne aanchal me jagah de deti hai, lekin agar maa naraj ho jaae to bhagwan bhi saran nahin dete hain
  • author
    Neelu Yadav
    02 जुलै 2019
    waah uday ji kya likha hai aapne aapki jitni tarif ki jae kam hi hai
  • author
    Arjun Yadav
    01 जुलै 2019
    Wow bhai lajabab dil jeet liya aapne to