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दुल्हन के पिता का तोहफा

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अरे क्या बताऊँ बहन जी, हमने तो सोचा था कि समधी जी अपनी इकलौती बेटी को खूब अच्छे से विदा करेंगे पर हमें क्या पता था कि वो इतने कंजूस है - रीना ने मुँह बनाते हुए कहा। और नहीं तो क्या जीजी, कौन सी ...

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लेखक के बारे में
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नीरा शर्मा
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dipali Pandey
    06 এপ্রিল 2019
    बहुत ही अच्छी कहानी और साथ ही इसका सन्देश भी। शादी के बाद लगभग हर लड़की को इस स्थिति का सामना करना ही पड़ता है फिर चाहे वो गरीब हो या अमीर। जितने मुँह उतनी बातें। इस कहानी की बहू जैसी हिम्मत शायद ही कोई कोई पता है। ये कहानी उन सभी लोगों के लिये एक सीख है, जो एक लड़की को गृहलक्ष्मी कहकर लाते हैं और फिर कम दहेज़ के ताने हर दिन देते हैं। बहुत ही अच्छा प्रयास है।
  • author
    pradeep jain Jain "Jain"
    11 মার্চ 2019
    बहुत कड़ा मजबूत कटाक्ष दहेज लोभियों पर आपकी कहानी की पात्र मज़बूती से मुक़ाबला कर जीत गई ससुराल वालों से
  • author
    Kamini Dargan
    16 অক্টোবর 2019
    wow kya meetha meetha thapad mara hai sabke muh per.....ese logo ko esa hi jawab milna chahiye......bahut hi shaandaar kahani thi....
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    Dipali Pandey
    06 এপ্রিল 2019
    बहुत ही अच्छी कहानी और साथ ही इसका सन्देश भी। शादी के बाद लगभग हर लड़की को इस स्थिति का सामना करना ही पड़ता है फिर चाहे वो गरीब हो या अमीर। जितने मुँह उतनी बातें। इस कहानी की बहू जैसी हिम्मत शायद ही कोई कोई पता है। ये कहानी उन सभी लोगों के लिये एक सीख है, जो एक लड़की को गृहलक्ष्मी कहकर लाते हैं और फिर कम दहेज़ के ताने हर दिन देते हैं। बहुत ही अच्छा प्रयास है।
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    pradeep jain Jain "Jain"
    11 মার্চ 2019
    बहुत कड़ा मजबूत कटाक्ष दहेज लोभियों पर आपकी कहानी की पात्र मज़बूती से मुक़ाबला कर जीत गई ससुराल वालों से
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    Kamini Dargan
    16 অক্টোবর 2019
    wow kya meetha meetha thapad mara hai sabke muh per.....ese logo ko esa hi jawab milna chahiye......bahut hi shaandaar kahani thi....