अरे क्या बताऊँ बहन जी, हमने तो सोचा था कि समधी जी अपनी इकलौती बेटी को खूब अच्छे से विदा करेंगे पर हमें क्या पता था कि वो इतने कंजूस है - रीना ने मुँह बनाते हुए कहा। और नहीं तो क्या जीजी, कौन सी ...
बहुत ही अच्छी कहानी और साथ ही इसका सन्देश भी। शादी के बाद लगभग हर लड़की को इस स्थिति का सामना करना ही पड़ता है फिर चाहे वो गरीब हो या अमीर। जितने मुँह उतनी बातें।
इस कहानी की बहू जैसी हिम्मत शायद ही कोई कोई पता है।
ये कहानी उन सभी लोगों के लिये एक सीख है, जो एक लड़की को गृहलक्ष्मी कहकर लाते हैं और फिर कम दहेज़ के ताने हर दिन देते हैं।
बहुत ही अच्छा प्रयास है।
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बहुत ही अच्छी कहानी और साथ ही इसका सन्देश भी। शादी के बाद लगभग हर लड़की को इस स्थिति का सामना करना ही पड़ता है फिर चाहे वो गरीब हो या अमीर। जितने मुँह उतनी बातें।
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