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तौलिया

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कभी उनके तन को चूमती कभी गेसुओं में झूमती कभी नाज़ुक उँगलियों पर लिपटती कभी अलगनी पर झूलती कभी धूप में सूखती परन्तु अब समय गया है बदल निम्न हो गया है मेरा स्तर अब पोंछती हूँ फर्श सूखती हूँ कूलर पर ...

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अंजुम हसन
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