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तलाश #ओवुमनिया

4.8
2502

अनुरती अपने तीस साल के पुत्र रूपेश को देखकर बहुत चिंतित रहती। ना जाने क्यों इतना परेशान रहता, कितने रिश्ते आ रहे थे, बिना देखे ही मना कर देता ।अच्छा कमाता था, लेकिन कहीं नहीं जाता बस ऑफिस से घर ...

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लेखक के बारे में
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सीमा जैन

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    13 मार्च 2019
    मार्मिक कहानी। समाज को उसकी पशुता और शुचिता दोनों से रु-ब-रू कराती हृदय को छू लेने वाली रचना। प्रथम पुरस्कार के लिए बहुत-बहुत बधाई।
  • author
    12 मार्च 2019
    ऐसे पुरुष इस दुनिया में नहीं पाए जाते हैं पर यदि कोई ऐसा हो तो स्त्री वर्ग की आधी समस्या हल‌हो जाती।
  • author
    Vibha Rashmi
    15 मार्च 2019
    सीमा बहुत संवेदनशील लघुकथा । भीतर तक छील गयी मुझे । बधाई ओवुमनिया ।
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    13 मार्च 2019
    मार्मिक कहानी। समाज को उसकी पशुता और शुचिता दोनों से रु-ब-रू कराती हृदय को छू लेने वाली रचना। प्रथम पुरस्कार के लिए बहुत-बहुत बधाई।
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    12 मार्च 2019
    ऐसे पुरुष इस दुनिया में नहीं पाए जाते हैं पर यदि कोई ऐसा हो तो स्त्री वर्ग की आधी समस्या हल‌हो जाती।
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    Vibha Rashmi
    15 मार्च 2019
    सीमा बहुत संवेदनशील लघुकथा । भीतर तक छील गयी मुझे । बधाई ओवुमनिया ।