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कर्ज़दार #ओवुमनिया (कहानी)

4.2
433

माँ का कर्ज़ कौन चुका पाया

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लेखक के बारे में

व्याख्याता, मनोवैज्ञानिक, लेखिका, कवयित्री, रेकी मास्टर, समाजसेविका

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    14 മാര്‍ച്ച് 2019
    वाहः और आह जब किसी रचना को पढ़कर दिल से निकले तब समझो लेखनी सार्थक हुई। गजब की कहानी लिखी आपने एक दम यथार्थ के नजदीक। कृपया मेरी लेखनी के निकले बोल पर भी अपनी पारखी दृष्टि डाल कर कुछ मार्गदर्शन करें।
  • author
    ईशा अग्रवाल
    14 മാര്‍ച്ച് 2019
    अच्छी कहानी है। आपको बधाई।
  • author
    umesh shukla
    04 മെയ്‌ 2020
    प्रगति की अति महत्वाकांक्षा में मनुष्य अपने कर्तव्य भुला बैठा है। यह दुखद है।
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    14 മാര്‍ച്ച് 2019
    वाहः और आह जब किसी रचना को पढ़कर दिल से निकले तब समझो लेखनी सार्थक हुई। गजब की कहानी लिखी आपने एक दम यथार्थ के नजदीक। कृपया मेरी लेखनी के निकले बोल पर भी अपनी पारखी दृष्टि डाल कर कुछ मार्गदर्शन करें।
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    ईशा अग्रवाल
    14 മാര്‍ച്ച് 2019
    अच्छी कहानी है। आपको बधाई।
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    umesh shukla
    04 മെയ്‌ 2020
    प्रगति की अति महत्वाकांक्षा में मनुष्य अपने कर्तव्य भुला बैठा है। यह दुखद है।