pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

आँखें # ओवुमनिया

4.8
148

माँ, मुझे तुमने पढ़ना-लिखना सिखाया, अंधेरों से भी लड़ना सिखाया, मगर,रौशनी में भी चमकती हैं आँखें, हर ज़गह भूखी भटकती हैं आँखें, उन्हें समझते हुये भी चुप ही रहती हूँ, कहीं मन के कोने में, छुपी रहती ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Alok Kumar
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Yogesh Kumar
    12 मार्च 2019
    आलोकजी आप एक बेहतरीन लेखकहैं। थोड़ी बेबाक राय राजनीत पर भी दीजिये।
  • author
    ईशा अग्रवाल
    12 मार्च 2019
    अच्छी रचना है। आपको बधाई।
  • author
    12 मार्च 2019
    Very nicely written brother.👌
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Yogesh Kumar
    12 मार्च 2019
    आलोकजी आप एक बेहतरीन लेखकहैं। थोड़ी बेबाक राय राजनीत पर भी दीजिये।
  • author
    ईशा अग्रवाल
    12 मार्च 2019
    अच्छी रचना है। आपको बधाई।
  • author
    12 मार्च 2019
    Very nicely written brother.👌