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पिंजरे की पहली सलाख
पिंजरे की पहली सलाख

पिंजरे की पहली सलाख

मेरी अम्मी कहती थीं, “अफसाना, बेटी, औरत का जिस्म तो अल्लाह की अमानत है, इसे महफूज़ रखना हर मर्द का फर्ज़ होता है।”  मैं उस वक्त आठ साल की थी। उनकी गोद में सिर रखे मैं चुपचाप सुनती और सोचती—अगर ...

26 मिनट
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Chapters

1.

पिंजरे की पहली सलाख

8 5 3 मिनट
27 नवम्बर 2025
2.

अध्याय २: सुनहरी सलाख़ें और किताबों की ख़ुशबू

7 5 3 मिनट
27 नवम्बर 2025
3.

अध्याय ३: सोने का नया पिंजरा

5 5 3 मिनट
27 नवम्बर 2025
4.

अध्याय ४: टूटा हुआ पासपोर्ट और जलता हुआ ख़ून

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5.

अध्याय ५: चारमीनार की छाँव में दो कैद परिंदे

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6.

लखनऊ की हवेली में तूफ़ान

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7.

अध्याय ७: कोर्ट की चौखट और कोख का फैसला

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8.

अध्याय ८: आज़ाद का पहला रोना

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9.

अध्याय ९: किताब का पहला पन्ना और आख़िरी पिंजरा

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