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सुबह से शाम और शाम से रात कई - कई दिन यूँही भूखे प्यासे गुजर जाते कभी मजदूरी मिल गई तो दो टाइम की रोटी खा ली वर्ना भूखे ही दिन रात गुजर जाते। गाँव के ...
एक लड़की गाड़ी चलाते हुए खुद से ही बोलती है....मै तो लेट हो गई कहीं वो लड़का चला ना जाए। लड़की अपनी गाड़ी एक रेस्टुरेंट के सामने रोकती है। वो जल्दी से कार पार्क कर अंदर चली जाती है। जिस लड़के से ...
भूमिका आम आदमी के जीवन से स्वास्थ्य, सुख सन्तोष और करुणा जैसे मानवीय गुणों का लोप हो गया है, और इनका स्थान अहंकार, ईर्ष्या, क्रोध, प्रतिशोध, अपराध और भोग-सामग्री जैसे विषयों ने ले लिया है, जिसके करण ...
"भैया मुझे एक लड़के के बारे में जानकारी चाहिए जो आपके शहर से है।,, जैसे ही ये संदेश मुझे रिसीव हुआ मैने अपनी बहुत दूर पर दिल के सबसे नजदीकी वाली बहन को संदेश भेजा। '' बोलो ना... किस लड़के के बारे ...
मंदिर के पीछे वाले तालाब में पैर डाले,एक दूसरे के हथेलियों को पकड़े हुए,उसने मेरी आँखों में देखते हुए कहा कि "रिया" मैं तुम्हारा साथ कभी नही छोडूंगा,तुम्हारा साथ जिंदगी के हर उतार चढ़ाव में दूँगा..!!" ...
( आज अपनी पुरानी डायरी में मेरी ही लिखी कहानी मुझे मिली.... जिसे बहुत समय पहले मैंने लिखी थी..यह बाल कहानी मुझे अच्छी लगी इसलिए आप सबके लिए पेश कर रही हूँ ...यह रचना स्वरचित और पूर्णतः काल्पनिक ...
जीवंत कथाएँ,,,,, यह लघुकथाओं का एक ऐसा संग्रह है,,, जो जीवंत सी प्रतीत होती हैं। मेरे आपके हम सबके आसपास प्रतिदिन घटने वाली कुछ घटनाएं जो आंखों के सामने से इतनी तीव्रता से निकल जाती ...
एक लड़का अथवॅ जो हर वक्त अपनी जिम्मेदारियो से पिछे भागता रहता है। वह जिसे रिश्ते में कोई दिलचस्पी नहीं, ना हीं शादी जैसे प्यारे या सच्चे बंधन में, वो अपनी ही दुनिया में मस्त रहने ...
ट्रेलर 24 साल बाद सब कुछ बदल गया था पूरा राठौर परिवार बदल गया था जहा पर अथर्व खुल कर जीने वाला वो भी बदल गया था सबसे जायदा प्यार मन्नत से करने वाला आज उसके नाम से भी नफरत करता है अथर्व : मोम कितनी ...
हे भगवान " ! मैं क्या करूं ! बहुत उदास होकर आसमान की तरफ देखते हुए कह रही थी! तुम कुछ मत करो सिवाय इसके कि चुल्लू भर पानी में डूब मरो जितने आराम से मैं भगवान से बातें कर रही थी! राजीव उतने ही ...
पार्ट - 1...... ये रही नई कहानी,,मेरे प्यारे प्रतिलिपि फैमिली के लिए......स्पेशली उन लोगों के लिए जो किसी से प्यार तो बेइंतेहा करते है पर उस प्यार की कोई मंज़िल नहीं है,,,किसी मजबूरी के चलते अलग ...
ये रचना बीसवीं सदी के प्रारंभिक दिनों की स्थितियों पर आधारित है। वो शायद सन उन्नीस सौ तीस के आसपास का समय था। वो समय रियासत दारों, जमींदारों ,मनसबदारों ,और जागीरदारों का हुआ करता था।ऐसी ...
24फरवरी 1992 एक बार एक फौजी की बीवी बीमार पड़ गयी। उसने अपने फौजी पति को ख़त लिखा कि वह बीमार है, तुम शीघ्र आ जाओ। तुम्हे देखने को बहुत मन कर रहा है। फौजी ने जवाब में छुट्टी न मिलने का कारण बताया। ...
"भाभी मुझे भी ऐसी चूड़ियां चाहिए, बहुत जंच रही हैं" रूची ने जिदपूर्वक रमाभाभी की चूड़ियां देखकर कहा। रमा ने मुस्कुरा कर तुरंत अपनी कलाई से हरी चूड़िया उतारकर ननद के हाथ में रख बोली "मैं बाद में फिर ...
यह कहानी एक मध्यमवर्गीय परिवार की है जहां छोटे बच्चों के साथ बड़ें भी हैं केन्द्र बिन्दु मां-पिता और बेटे के इर्द- गिदर्द घूमती है, एक वर्तमान पारिवारिक समस्या को लेकर बनायी गई है, जिसमें मनोरंजन ...